सरसों की उन्नत खेती के लिये किसान करे ये काम जिससे होगी बम्पर पैदावार औसतन 15 --20 कुतल प्रति हेक्टयर दाने की उपज प्राप्त हो जाती
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सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। इसकी खेती सिचिंत एवं संरक्षित नमी द्वारा के बारानी क्षेत्रों में की जाती है |
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भूमि - सरसों की खेती के लिए दोमट व बलुए भूमि सर्वोतम रहती है । सरसों के लिए मिटटी भुरभुरी होनी चाहिए । तैयार की हुई भूमि में इसका जमाव अच्छा होता है ।
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बीज एवं बुआईसरसों के लिए4 से 5 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहता है । सिंचित क्षेत्रों में फसल की बुआई पलेवा देकर करनी चाहिये
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बारानी क्षेत्रों में सर्सो की बुआई 25 सितमबर से 15 अक्टूबर तथा सिंचाई क्षेत्रों में 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच करनी चाहिए ।
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सरसों की फसल के लिए 8-10 टन गोबर की हुई या कम्पोस्ट खाद को बुआई से कम से कम तीन से चार सप्ताह पूर्व खेती में अच्छी प्रकार मिला देनी चहिए ।
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सरसों की खेती के लिए 4-5 सिंचाई पर्याप्त होती है । सिंचाई फव्वारे विधि दुबारा करनी चहिये ।
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सरसों की फसल में अनेक प्रकार के खरतपतवार जैसे गोयला,चील,मोरवा,प्याजी इत्यादि नुकसान पहुंचाते हैं । इनके नियंत्रण के लिए बुवाई के 25 से 30दिनपश्चात कस्सी से गुड़ाई करनी चाहिये
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सरसों का बीज बुवाई हेतु किसान स्वयं भी अपने खेत पर पैदा कर सकते हैं । केवल कुछ सावधानियां अपनाने की आवश्यकता हैं । बीज उत्पादन कर लिए ऐसी भूमि का चुनाव करना चाहिये,