पिस्ता की खेती । पिस्ता की खेती से करोडो का मुनाफा | Pistachio Farming मिट्टी ,जलवायु, उन्नत किस्में

  उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु को उपयुक्त माना जाता हैं. इसकी खेती के गर्मी के मौसम की ज्यादा जरूरत होती है । ये कम वर्षा मे भी आसानी से अच्छी पैदावार दे सकते है । 

पिस्ता की खेती जलवायु 

पिस्ता की खेती के भूमि में जल भराव नही होना चाहिए, रेतीली दोमट भुमी,वैसे पिस्ता की खेती के लिये सभी तरह कि भुमी मे खेती कि जा सकती है ।

पिस्ता की खेती मिट्टी 

भारत मे इसकी उन्नत किस्में पीटर,चिकु केरमन,जॉली ओर रेड अलेप्पो जैसी विदेशी किस्मे के पौधे को उगाया गया है जिसकी लम्बाई 30 फिट तक होती है । 

पिस्ता की खेती उन्नत किस्में

  पिस्ता की खेती मे पौधो को खेत में गड्डे मे  लगाया जाता है 1 m चौड़े और दो से ढाई फिट गहरे आकार के गड्डे ओर गड्डे कि दुरी लगभग 5 -6 m की दूरी होनी चाहिए.

 खेत की तैयारी

पिस्ता की पौध नर्सरी में रूटस्टॉक के माध्यम से तैयार किया जाता है. इसके अलावा ग्राफ्टिंग या कलम रोपण के माध्यम से भी तैयार कर सकते हैं.

पिस्ता की खेती  पौध तैयार करना 

पौधों गर्मियों के मौसम में सप्ताह में 1  बार और सर्दियों में 15 से 20 दिन के अंतराल में पानी देना अच्छा होता है । पौध जब एक वृक्ष की तरह दिखाई देने लग जाते हैं, तब  साल भर में 5 से 6 सिंचाई 

 सिंचाई 

गड्डों की तैयारी के वक्त जैविक खाद के रूप में 15 किलो गोबर की खाद और लगभग 200 से 300 gm उर्वरक दोनों को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर गड्डों में भर दें. और गड्डों की सिंचाई कर दें. 

पिस्ता की खेती  खाद 

पिस्ता के पौधे खेत में लगाने के 6 साल बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. लेकिन अच्छी तरह पैदावार 10 से 12 साल बाद देना शुरू करते हैं.  

पिस्ता की खेती  तुडाई 

पिस्ता के एक पौधे से एक बार में लगभग 8 किलो के आसपास पैदावार प्राप्त होती है. जिसका बाज़ार भाव 750 से 1500 रूपये प्रति किलो तक पाया जाता है किसान भाई कि कमाई अच्छी होती है । 

पिस्ता की खेती  लाभ