गेहूं कि फसल मे रोग एंव निवारण । गेहूं कि खेती 2023 अच्ची पैदावार के लिये जरुरी है कि किसान फसल के रोग ओर उसका निवारण कर सके ।
गेहूं भारत की सबसे महत्तवपूर्ण अनाज की फसल है जो पुरे भारत देश महत्तवपूर्ण खाद्य पदार्थ मे से एक है यह प्रोटीन, विटामिन और कार्बोहाइड्रेटस का समृद्ध स्त्रोत है और संतुलित भोजन प्रदान करता है।
गेहूं कि फसल कि बिजाई करना ओर गेहूं कि फसल मे रोगो का निवारण करना किसानो के लिये बहुत जरुरी है ताकि फसल कि पैदावार मे बढोतरी हो सके आईये देखे है गेहूं कि फसल मे रोग एंव उनका निवारण ।
दीमक - दीमक के हमले से पौधा पुरी तरह से सुख जाता है ओर पौधा पिला हो जाता है ईसके निवारण के लिये 1 लिटर क्लोरपाइरीफॉस 20 e.c.को 20 किलो मिट्टी में मिलाके 1 एकड़ में बुरकाव करना चाहिए |
चेपा - यह रस चुसने वाला पारदर्शी किट है जिसके कारण पत्तियो पर पिलापन या पत्ति समय से पहले सुख जाति है । निवारण सुंडियां खाने वाला कीड़ा कराईसोपरला प्रीडेटर्ज़ का उपयोग 6-8 हज़ार/एकड कीड़े का उपयोग
कांगियारी- यह रोग बालियां बनने या कम तापमान यानि नमि वातावरण इसके लिये अनुकूल है । इसको रोकने के लिए 2.5 gm कार्बोक्सिल , 2.5 कार्बेनडाज़िम, 1.25 gm टैबुकोनाज़ोल प्रयोग करना चाहिए।
पीली धारीदार कुंगी - इस रोग से पत्तिया पिली ओर संतरी रंग कि हो जाती है इसके रोक के लिये 5-10 kg/ एकड़ सल्फर का छिड़काव या 2 gm/लीटर मैनकोजेब पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
सफेद धब्बे- इस रोग मे फसल पर सफेद रंग की फंगस दिखाई देने लग जाती है। निवारण के लिये 2 gm/लीटर घुलनशील सल्फर को पानी में मिलाकर या 400 ग्राम कार्बेनडाज़िम का प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
भूरी कुंगी : गर्म तापमान और नमी वाले हालात इसका कारण बनते हैं। पत्तों के भूरेपन के लक्षण की पहचान, प्रोपीकोनाज़ोल 2ml टिल्ट 25 इ सी का 1 लीटर पानी में घोल कर तैयार करके इसका छिड़काव करना चाहिए।
किसान भाईयो हम आपको बता दे कि ये जानकारी विभिन्न माध्यमो से प्राप्त कि है लेकिन फिर भी आप अपने नजदिकी कृषि केंद्र पर जा कर अपनी खेती के लिये पुख्ता कर ले । धन्यवाद ।