गेहु कि फसल को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले मुख्य रोग भूरा, पीला, काला रतुआ, छब्वा, चूर्णिल आसिता करनाल बंट, फ्यूजेरियम हेड ब्लाइट इत्यादि है।  

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भूरा रतुआ :  गेहूं की पत्ती रतुआ के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्यत: पत्तियों पर विकसित होता है। जहां पर यह छोटे-छोटे भूरे रंग की फुंसी के समान गोल, बिखरे हुए पश्च्यूल का निर्माण करता है।

भूरा रतुआ : उपाय - धब्बे दिखाई देने पर 0.1 प्रतिशत प्रोपीकोनेजोल (टिल्ट 25 ईसी) का एक या दो बार पत्तियों पर छिड़काव करें।अपने नजदीकी किसान सेवा केन्द्र पर भी  जानकारी जरुर प्राप्त करे ।

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   गेहूं का करनाल बंट रोग लक्षण - इस रोग से दानों के अंदर काला चूर्ण बन जाता है तथा अंकुरण क्षमता कम हो जाती है।

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  उपाय - इस रोग कि रोकथाम के लिए बीज को थाइरम 2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित कर बोयें। उन्नत प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।

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 चूर्णिल आसिता लक्षण -  इस रोग से पत्तियों की उपरी स्थ पर गेहूं के आटे के रंग के सफेद धब्बे पड़ जाते हैं जो कि उपयुक्त परिस्थितियां होने पर बालियों तक पहुंच जाते हैं।

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 चूर्णिल आसिता उपाय   - रोग के संक्रमन से डेन बनने की अवस्था तक 0.1 प्रतिशत प्रोपिकोनेजोल (टिल्ट 25 ईसी) का पत्तियों पर छिड़काव करें। छायादार खेत में गेहूं की बुआई न करें।

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 चूर्णिल आसिता तना रतुआ या काला रतुआ रोग लक्षण - यह रोग अक्सर 20 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान पर फैलता है। इस रोग के लक्षण तने तथा पत्तियों पर चाकलेट रंग जैसा काला हो जाता है।

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 चूर्णिल आसिता उपाय - खेती समाचार वेब साईट पर जाये ।   गेहूं में लगने वाले रोग एवं इनके नियंत्रण के उपाय क्या क्या है इसकी पूरी जानकारी यहाँ विस्तार से बताएँगे।

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