गेहूं मे बम्पर पैदावार के लिये महत्वपुर्ण जानकारी । गेहूं की खेती (Wheat farming)
भारत में गेहूं एक मुख्य फसल है, गेहूँ का करीब करीब 96.97 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है, भारत में गेहूं की खेती के प्रमुख राज्य पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश मुख्य हैं| भारत में गेहूं एक मुख्य फसल है , गेहूं का प्रयोग मनुष्य अपने जीवन यापन हेतु मुख्यत रोटी के रूप में प्रयोग करते हैं | गेहूं मे बम्पर पैदावार के लिये महत्वपुर्ण जानकारी । गेहूं की खेती
गेहूं की खेती योग्य जलवायु
गेहूं रबी की फसल है इसकी बुवाई कम तापमान ओर कटाई मे शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है गेहूँ की खेती अक्टूबर या नवम्बर के महीनों में की जाती हैं।sustainable wheat farming
भुमि का चयन
गेहूं की खेती के लिये भुमि का चयन बहुत आवश्यक है , चिकनी मिट्टी या नहरी मिट्टी एंव मटियार दोमट भूमि को सबसे सर्वोत्तम माना जाता है ।
गेहूँ की खेती सिंचाई
गेहूँ की खेती में पहली सिंचाई बुआई के लगभग 25 दिन, 2nd सिंचाई लगभग 60 दिन बाद और 3rd सिंचाई लगभग 80 दिन बाद करनी चाहिए ।यदि मिट्टी काफी हल्की या बलुई है तो 2-3 अतिरिक्त सिंचाईयो की आवश्यकता हो सकती है |
सिंचाई की संख्या बुवाई के बाद सिंचाई (दिनों में)
पहली सिंचाई 20-25 दिनों में
दूसरी सिंचाई 40-45 दिनों में
तीसरी सिंचाई 60-65 दिनों में
चौथी सिंचाई 80-85 दिनों में
पांचवी सिंचाई 100-105 दिनों में
छठी सिंचाई 115-120 दिनों में
गेहूँ की खेती उन्नत किस्मे
PBW 725, PBW677, PBW 660, WHD-912,HD3043, HD3086,HD2967,TL2908,PBW527,RAJ3765,UP2338,SONALIKA,WL711,UP319 आदि गेहूं की खेती के लिये उन्नत किस्मे है ।
गेहूँ की खेती बीजोपचार
बुआई से पहले बीज की अंकुरण क्षमता की जांच ज़रूर से कर लेनी चाहिए अगर गेहूँ की बीज उपचारित नहीं है तो बुआई से पहले बीज को किसी फफूंदी नाशक दवा से उपचारित कर लेना चाहिए ।
गेहूँ की खेती बुवाई
गेहूँ की खेती में बुआई का सही समय 25 अक्तूबर से 30 नवम्बर तक होता है । अगर बुआई देरी से की जाये तो लगभग 90kg प्रति हेक्टेयर के दर से उपज में कमी आ जाती है । बीज बुआई करते समय कतार से कतार की दूरी 20cm होनी चाहिए । बिजाई का तरीका जैसे छींटा विधि द्वार,रोटावेटर ओर बिजाई वाली मशीन ।
खाद
गेहूँ की खेती में समय पर खाद का प्रबंधन करना चाहिये खादें (किलोग्राम प्रति एकड़) युरिया (110),डिएपी (55)एमओपी ( 20) एंव तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़) नाईट्रोजन (50) फास्फोरस (25) पोटास (12)
गेहूँ की खेती खरपतवार निवारण
खरपतवार निवारण के लिये पैंडीमैथालीन 1 लीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई से 3 दिन पहले या बाद में प्रति एकड़ में छिड़काव करना चाहिए। चौड़े पत्तों वाले की रोकथाम के लिए 2,4-D 250 मि.ली. को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रयोग करें।
गेहूँ की खेती मे दीमक
दीमक लगने से पौधा बुरी तरह ग्रसित पौधों की जड़ों को आराम से उखाड़ा जा सकता है और यह पत्ता लपेट और सूखे हुए नज़र आते हैं। उपचार – इसकी रोकथाम के लिए 1 litr क्लोरपाइरीफॉस 20 e.c. को 20 किलो मिट्टी में मिलाके एक एकड़ में छिडकाव करना चाहिए और उसके बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
गेहूँ की खेती कटाई
उच्च पैदावार वाली फसलों की किस्मों की कटाई पत्तों और तने के पीले पड़ने और सूखने के बाद की जाती है। 25-30 प्रतिशत नमी रह जाती है तो यह इसे काटने का सही समय होता है।
जरुरी सलाह
गेहूं की खेती के लिये ओर अधिक जानकारी के अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र पर सम्पर्क करे । धन्यवाद
गेहूं मे बम्पर पैदावार के लिये महत्वपुर्ण जानकारी । गेहूं की खेती