पपीता कि खेती कैसे करे । पपीता की उन्नत किस्मे 2022

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पपीता कि खेती कैसे करे । पपीता की उन्नत किस्मे 2022

पपीता का उपयोग पेय पदार्थ, फल के रुप मे ,जैम, आइसक्रीम एवं सीरप आदि बनाने में किया जाता है ओर बीज भी औषधीय गुणों के लिए महत्वपूर्ण हैं। बीज बोने का समय जुलाई से सितम्बर और फरवरी-मार्च होता है। जमीन मे पौध लगाने हेतु निर्धारित दूरी पर गर्मी के दिनों में 50 x 50 x 50 सेंमी. के आकार के गड्ढे तैयार कर लेना चाहिए।

पपीता कि खेती कैसे करे । पपीता की उन्नत किस्मे 2022
सामान्य परिचय

पपीता केला के पश्चात् प्रति ईकाई अधिकतम उत्पादन देने वाला एवं औषधीय गुणों से भरपूर फलदार पौधा है, जो उष्ण एवं शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों का प्रमुख फल है। पपीता का उपयोग पेय पदार्थ, फल के रुप मे ,जैम, आइसक्रीम एवं सीरप आदि बनाने में किया जाता है ओर बीज भी औषधीय गुणों के लिए महत्वपूर्ण हैं। पपीते के अधपके फलों के सूखे लेटेक्स से पपेन तैयार किया जाता है ओर कच्चे फल सब्जी के रूप में उपयोग किए जाते हैं। पपीता कि खेती करने से किसानो को अच्छा मुनाफा होता है इसकी खेती के लिये समान आकार के गढडे तैयार किये जाते है । पपीता की बम्पर पैदावार के लिये तापमान 10-26 डिग्री सेल्सियस तक होना अच्छा रहता है ।

पपीता कि खेती के लिये जलवायु

पपीता का पौधे के लिये उष्णकटिबंधीय जलवायु होना आवश्यक है यानि जहा तापमान 10-26 डिग्री सेल्सियस तक रहता है तथा पाले की संभावना न हो, इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। पहले पपीते के बीज को अंकुरण करने के लिये 35 डिग्री सेल्सियस तापमान सर्वोत्तम होता है। इसकी खेती के लिये ज्यादा सर्दी यानि तापमान 10/11 डिग्री से कम तापमान पपीते के पौधे पर विपरित प्रभाव पडता है । बीज बोने का समय जुलाई से सितम्बर और फरवरी-मार्च होता है।

पौधो को अंकुरित कैसे करे / पपीता की नर्सरी कैसे तैयार करें

  • एक हेक्टेयर के लिए 500 ग्राम बीज की मात्रा आवश्यक होती है, बीज बोने के लिए ख़ास तौर पर जमीन तैयार करनी चाहिए । जमीन कि नमी अच्छी मात्रा मे होनी चाहिये इसके लिये क्यारी को गांस फुंस यानि खरपतवार से ढककर रखना चाहिए ।
  • जब पौधे 3-4 इंच के हो जाएं तो उन्हें उखाड़कर एक दूसरे से 6 इंच की दूरी पर अलग क्यारी में लगाया जाना चाहिए ओर बाद मे पौधे 9 इंच के हो जाएं तो इन्हें उखाड़कर निश्चित स्थान में लगाया जाना चाहिए ।
  • मिट्टी में गोबर की खाद मिलाकर बारीक बना लेना चाहिए। बीज को क्यारी में कतार में लगाना चाहिए। कतार से कतार की दूरी 10 सेंमी. तथा बीज को 1 सेंमी. गहरा बोना चाहिए। इसके बाद बीज को गोबर की खाद या कम्पोस्ट को भुरभुरी बनाकर ढक देना चाहिए।

पपीता कि खेती कैसे करे । पपीता की उन्नत किस्मे 2022

पपीता कि खेती के लिये खेत की तैयारी

  • पपीता कि खेती के लिये खेत की तैयारी के लिये हल से जमीन को अच्छी तरह जुताई कर ले तथा पाटा से जमीन को समतल जरुर करे । जमीन मे पौध लगाने हेतु निर्धारित दूरी पर गर्मी के दिनों में 50 x 50 x 50 सेंमी. के आकार के गड्ढे तैयार कर लेना चाहिए।
  • गड्ढे को 15 दिन तक खुला छोड़ दें। वर्षा शुरू होने के पूर्व गड्ढे के ऊपर की भुरभुरी मिट्टी में 20 किग्रा. गोबर की सड़ी खाद, 1 किग्रा. नीम की खली तथा 1 किग्रा. हड्डी का चूर्ण तथा 5 से 10 ग्राम फ्यूराडान या थीमेंट 10 जी का मिश्रण मिलाकर गड्ढे को अच्छी तरह भर दें।
  • जब 15-20 सेंमी. या 9 इंच की ऊँचाई के हो जायें तब अक्टूबर माह में पौधों को गड्ढे के बीचों बीच लगाये। इसके बाद प्रत्येक पौधे को हल्की सिंचाई करनी चाहिए।

पपीता की उन्नत किस्मे 2022

किसान भाईयो के लिये ये आवश्यक है कि पपीता की उन्नत किस्मे कहा ओर कोनसी किस्मे अच्छी रहेगी इसके लिये आप पहले अपने नजदीकी कृषि केंद्र पर जा कर सम्पुर्ण जानकारीअवश्य प्राप्त करे । फिर भी हम कुछ पपीता की उन्नत किस्मे यहा बता रहे है ।
औद्योगिक रूप से महत्व की किस्में जिनके कच्चे फलों से पपेन निकाला जाता है जिसके लिये महत्वपूर्ण किस्में C.O.-2, ए सी. ओ- 5 एवं सी. ओ- 7 . ओर अन्य पारम्परिक पपीते की किस्में :- सूर्या, कुर्ग हनी ड्यू, वाशिंगटन, मधुबिन्दु, को 1, एवं 3 , रेड लेडी -786, ताइवान, पूसा डिलीशियस ,पूसा जाइंट , पूसा ड्वार्फ, पूसा नन्हा आदि है । आपके क्षेत्र के अनुसारकिस्म का चयन कर के खेती शुरु करे ।

सिंचाई

पौधा लगाने के तुरन्त बाद सिंचाई करें ध्यान रहे पौधे के तने के पास पानी न भरने पाए। गर्मियों में 5-7 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। जब तक पौधा फलन में नहीं आता तब तक हल्की सिंचाई करनी चाहिए जिससे पौधे जीवित रह सके। अधिक पानी देने से पौधे काफी लम्बे हो जाते है जिससे पौधे मे रोगो का खतरा बढ जाता है । पपीता कि खेती मे ड्रिप सिंचाई प्रणाली से भी सिंचाई करने से पानी कि बचत होती है ।

रोग एवं कीट निवारण

आर्द्रगलन रोग – पौधे का तना जमीन के पास से सड़ जाता है और पौधा मुरझाकर गिर जाता है। इसका प्रभाव नये अंकुरित पौधों पर होता है। कली एवं फल के तनों का सड़ना- इस रोग के कारण फल तथा कलिका के पास का तना पीला हो जाता है जो बाद में फल के पूरे तना पर फ़ैल जाता है। जिसके कारण फल सिकुड़ जाते हैं तथा बाद में झड़ जाते हैं। फलों का सड़ना – इस रोग में फलों के ऊपर छोटा जलीय धब्बा बन जाता है जो बाद में बढ़कर पीले या काले रंग का हो जाता है।
रोग के निवारण के लिये नजदीकी कृषि केंद्र पर जा कर सम्पुर्ण जानकारी अवश्य प्राप्त करे ।

पपीते के फल की तुडाई एवं उपज

पपीते कि खेती को अच्छी तरह वैज्ञानिक प्रबंधन करने पर प्रति पौधा 40-50 किलो उपज प्राप्त हो जाती है। फलों का रंग गहरा हरे रंग से बदलकर हल्‍का पीला होने लगता है और फलों पर नाखून लगने से दूध की जगह पानी और तरल निकलता हो तो समझना चाहिए कि फल पक गया है ।

 

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