सितम्बर माह मे करें इन 3 फसलों की खेती

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अच्छी पैदावार के लिये सितम्बर माह मे करें इन 3 फसलों की खेती | Cultivate these crops in the month of September

भारतीय बाजार में कई ऐसी सब्जियां बिकती हैं, जिनकी खेती कर किसान बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है. यहां आपको सितंबर महीने में होने वाली फसलो के बारे मे जानकारी प्रदान करेंगे । सितम्बर मे करें इन 3 फसलों की खेती
सितंबर का महीना शुरू हो चुका है. खरीफ की बुवाई समाप्त हो चुकी है । अब किसानो को इस माह मे अच्छी पैदावार के लिये करे निचे बताई गई फसल की खेती करनी चाहीये ।  

ब्रोकली की खेती

सितम्बर मे करें इन 3 फसलों की खेती

ब्रोकली के बारे मे सामान्य जानकारी ‌- ब्रोकली के बीज व पौधे देखने में लगभग फूल गोभी की तरह ही होते हैं। ब्रोकोली का खाने वाला भाग छोटी छोटी बहुत सारी हरे फूल कलिकाओं का गुच्छा होता है, जो फूल खिलने से पहले पौधों से काट लिया जाता है और यह खाने के काम आता है।ब्रोकली फूल गोभी की तरह ही होती है लेकिन इसका रंग हरा होने के इसको हरी गोभी भी कहते है ।

ब्रोकली मे आवश्यक पोषक तत्व 

इस हरी सब्जी में लोहा, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, क्रोमियम, विटामिन ए और सी पाया जाता है, जो सब्जी को पौष्टिक बनाता है. इसके अलावा इसमें फाइटोकेमिकल्स और एंटी-ऑक्सीडेंट भी होता है, जो बीमारी और बॉडी इंफेक्शन से लडऩे में सहायक होता है । ब्रोकोली को पका कर या फिर कच्चा भी खाया जा सकता है, लेकिन अगर आप इसे उबाल कर खाएंगे तो आपको ज्यादा फायदा होगा। इस हरी सब्जी में लोहा, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, क्रोमियम, विटामिन ए और सी पाया जाता है, जो सब्जी को पौष्टिक बनाता है। इसके अलावा इसमें फाइटोकेमिकल्स और एंटी-ऑक्सीडेंट भी होता है, जो बीमारी और बॉडी इंफेक्शन से लडऩे में सहायक होता है।

ब्रोकली की खेती के लिये मिट्टी -इस फसल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जाती है , लेकिन अच्छी पैदावार की खेती के लिये बलुई दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है । हल्की भूमि में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जा सकती है।

ब्रोकली की खेती के लिये उचित समय – ब्रोकोली को उत्तर भारत के मैदानी भागों में सर्दी के मौसम में या सितम्बर मध्य के बाद से फरवरी मध्य तक उगाया जा सकता है। सितम्बर मध्य से नवम्बर के शुरू तक पौधा तैयार किया जाता है बीज बोने के लगभग 4 से 5 सप्ताह में इसकी पौध खेत में रोपाई करने योग्य हो जाती हैं । ब्रोकली के लिए ठंडी और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है ।

ब्रोकली की खेती के लिये संकर किस्समे – पाईरेट पेक में,प्रिमिय क्राप,क्लीपर, क्रुसेर, स्टिक व ग्रीन सर्फ़ मुख्य है । ब्रोकोली की हरे रंग की गंठी हुई शीर्ष वाली किस्में अधिक पसंद की जाती है, इनमें नाइनस्टार,पेरिनियल,इटैलियन ग्रीन स्प्राउटिंग,या केलेब्रस,बाथम 29 और ग्रीनहेड प्रमुख किस्मे हैं ।

ब्रोकली की खेती की कटाई ‌‌- फ़सल में जब हरे रंग की कलियों का मुख्य गुच्छा बनकर तैयार हो जाये शीर्ष रोपण के 65-70 दिन बाद तैयार हो जाते हैतो इसको तेज़ चाकू या दरांती से कटाई कर लें।ब्रोकोली की अच्छी फ़सल से ल्रगभग 12 से 15 टन पैदावार प्रति हेक्टेअर मिल जाती है।

हरि मिर्च की खेती :

हरि मिर्च की खेती
हरि मिर्च की खेती

मसालों में मिर्च का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसको एक अद्भुत मसाला फसल के रूप में जाना जाता है। मिर्च का भारत में उत्पादन मुख्य रूप से दो प्रकार से उपभोग के या जाता है।आप हरि मिर्च की खेती कर के अच्छा मुनाफा सकते हो । भारत में भी मिर्च का रंग, आकार, तीखेपन व उपयोग के आधार पर भिन्नता वाली लगभग 50 से अधिक किस्में मौजूद हैं।

कैसे करे हरि मिर्च की खेती

  • मिर्च की खेती में उठी हई क्यारियों के साथ – साथ टपक सिंचाई प्रणाली के उपयोग द्वारा निश्चित रूप से सिंचाई जल की बचत की जा सकती है। इसके साथ ही साथ इस प्रकार की फसल में उर्वरक की मात्रा भी फसल व किस्मों की आवश्यकतानसार, फसल वद्धि की विभिन्न अवस्थाओं के अनुरूप दी जा सकती है जिससे हरि मिर्च की खेती मे रोगों व खरपतवारों का कम प्रकोप होगा।
  • हरी मिर्च की खेती लगभग हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है। अच्छी पैदावार के लिए हल्की उपजाऊ और पानी के अच्छे निकास वाली ज़मीन जिस में नमी हो, इसकी खेती के लिए अनुकूल होती है।
  • हरी मिर्च की खेती को साल में तीन बार वर्षा, शरद, ग्रीष्म तीनों मौसम मे की जा सकती है।लेकिन आप सितम्बर माह मे भी हरि मिर्च की खेती कर सकते हो जिससे आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हो ।
  • जुताई करते वक्त गोबर की अच्छी पकी हुई खाद करीब 300 से 400 क्विंटल मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इसके बाद सही आकार की क्यारियां बना लें और फिर बीज बोएं।
  • मिर्च की पौध तैयार करने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ पर पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो तथा बीजो की बुवाई 3 गुणा 1 मीटर आकार की भूमि से 20 सेमी ऊँची उठी क्यारी में करें।

अन्य जानकारी  : मिर्च मे पहली निडाई 20-25 तथा दूसरी निडाई 35-40 दिन पश्चात करें । हाथ से निडाई या डोरा कोलपा को ही प्राथमिकता दे। जिससे खरपतवार नियंत्रण के साथ साथ मृदा नमी का भी संरक्षण होता है।  

हरि मिर्च की खेती मे उत्पादन – वैज्ञानिक विधि से उन्नत किस्मों से 20-25 क्वि. तथा संकर किस्मों से 30-40 क्वि. उत्पादन प्राप्त होता है। हरि मिर्च के लिये भण्डारण – हरी मिर्च के फलों को 7-10 से. तापमान तथा 90-95 प्रतिशत आर्द्रता पर 14-21 दिन तक भंण्डारीत किया जा सकता है ।

हरि मिर्च के लिये भण्डारण – हरी मिर्च के फलों को 7-10 से. तापमान तथा 90-95 प्रतिशत आर्द्रता पर 14-21 दिन तक भंण्डारीत किया जा सकता है । भण्डारण हवादार वेग मे करे । लाल मिर्च को 3-10 दिन तक सूर्य की तैज धुप मे सुखा कर 10 प्रतिशत नमी पर भण्डारण करे ।

 

पपीता कि खेती –

सितम्बर मे करें इन 3 फसलों की खेती

पपीते की खेती का उचित समय

साल के बारहों महीने की जा सकती है लेकिन इसकी खेती का उचित समय फरवरी और मार्च एवं अक्टूबर के मध्य का माना जाता है, क्योंकि इस महीनों में उगाए गए पपीते की बढ़वार काफी अच्छी होती है। अगर आप भी बागवानी फसलों की खेती करना चाहते हैं तो पपीता की खेती कर सकते हैं। इसकी सबसे खास बात होती है, इसकी खेती साल भर कर सकते हैं।

पपीते की खेती बीज बोने का समय

  • जुलाई से सितम्बर और फरवरी-मार्च होता है। बीजों को क्यारियों, लकड़ी के बक्सों, मिट्‌टी के गमलों व पॉलीथीन की थैलियों में बोया जा सकता है।

पपीते की खेती के लिये खेत की तैयारी

  • क्यारियां जमीन की सतह से 15 सेंटीमीटर ऊंची व 1 मीटर चौड़ी होनी चाहिए। क्यारियों में गोबर की खाद, कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट काफी मात्रा में मिलाना चाहिए।
  • जब पौधे 8-10 सेंटीमीटर लंबे हो जाएं, तो उन्हें क्यारी से पौलीथीन में स्थानांतरित कर देते हैं। बोई गई क्यारियों को सूखी घास या पुआल से ढक दें और सुबह शाम होज द्वारा पानी दें। 
  • बोने के लगभग 15-20 दिन भीतर बीज जम जाते हैं। जब इन पौधों में 4-5 पत्तियां और ऊंचाई 25 से.मी. हो जाए तो दो महीने बाद खेत में प्रतिरोपण करना चाहिए, प्रतिरोपण से पहले गमलों को धूप में रखना चाहिए ।

पपीते की खेती के लिये भूमी  –

  • पपीता जल्दी फल देना शुरू कर देता है। इसलिए इसे अधिक उपजाऊ भूमि की जरुरत है।
  • पपीता जल्दी बढऩे व फल देने वाला पौधा है, जिसके कारण भूमि से काफी मात्रा में पोषक तत्व निकल जाते हैं।

पपीते की उन्नत किस्में-

  • पूसा डोलसियरा,
  • पूसा मेजेस्टी
  • पपीते की संकर किस्म- रेड लेडी 786 है

आपको मुख्य पपीते की किस्म के बारे मे बताया है अलग अलग जलवायु के हिसाब से किस्मे भी अलग अलग होती है आप अपने नजदीकी कृषी केंद्र पर जानकारी प्राप्त कर सकते है ।  

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे जरुर बताये ।

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