चना की खेती मे रखे 10 बातो का ध्यान । Gram Farming

चने की खेती मुख्य रूप पुरे भारत मे से राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक तथा बिहार में की जाती है। भारत में सबसे अधिक चने का क्षेत्रफल एवं उत्पादन वाला राज्य मध्यप्रदेश है तथा छत्तीसगढ़ प्रान्त के मैदानी जिलो में चने की खेती असिंचित अवस्था में की जाती है। राजस्थान मे भी चना की खेती कि मुख्य रुप से की जाती है सिचिंत ओर असिंचित दोनो प्रकार से ।
चना रबी ऋतु की फसल है पुरे विश्व मे से लगभग 68 से 72 % भारत मे चना उत्पादन होता है ।चना की खेती मे 10 बातो का रखे ध्यान । चना की खेती कैसे करे
चना की खेती मे इन बातो का रखे ध्यान : –
चना की खेती मे उपयुक्त जलवायु,चना की खेती मे खाद, चना की उन्नत किस्मे , खेती योग्य भुमी , बीजोउपचार ,खेत की तैयारी, बीज दर एंव रोग व उनका निवारण आदि प्रमुख बातो की चर्चा निचे की गई है …
चना की खेती का बुवाई का समय
उचित समय मैदानी क्षेत्र में सितम्बर से अक्टूबर एंव पहाड़ी इलाकों में अगस्त से अक्टूबर
चना की खेती मे उपयुक्त जलवायु
चना एक रबी की फसल है उपयुक्त तापमान 12°Cसे 30 °C तक एंव मध्य्म वर्षा 60 से 80 cm तक अच्छी रहती है ।
चना की खेती मे खाद
चने की फसल को नाईट्रोजन की कम आवश्यक्ता होती है इसके लिये नाईट्रोजन की आपुर्ति के लिये 50 kg/hctr एंव 40kg/hctrकी दर से फास्फोरस देनी चाहिये । नाईट्रोजन की मात्रा युरिया या DAP तथा गोबर खाद द्वारा दी जा सकती है । जबकि फास्फोरस के लिये सिंगल फास्फेट या DAP या गोबर खाद द्वारा पुर्ति की जा सकती है 1 hctr मे गोबर खाद 2.50 ट्न या कम्पोस्ट खाद भुमी मे अच्छी तरह से मिला लेना चाहिये ।
चना की उन्नत किस्मे
C-235,RSG-44,RSG-888(प्रमुख ), पुसा 362 ,GNG 1292, CSJK- 6 आदि प्रमुख है।
खेती योग्य भुमी
दोमट मिट्टी, या हल्की दोमट मिट्टी जिसमें जैविक तत्व अच्छी मात्रा में हो एंव ज्यादा क्षारिय ना हो ।
चने की खेती मे सिंचाई
चना को हल्की सिंचाई की जरूरत होती है एंव जलवायु के अनुसार, बाकी की सिंचाइ करे । चने की फसल के लिये 2 से 3 सिंचाई प्रयाप्त है ।
चना की खेती मे रखे 10 बातो का ध्यान । Gram Farming
चना खेती बीजोउपचार
चने की बीज को अच्छी तरह उपचारित करना चाहिये बीज को उपचारित करने के लिये 1 लीटर पानी मे 250 gm गूड को गर्म करके ठंडा होने पर उसमे राइजोबियम कल्चर व फास्फोरस जिवाणु को अच्छी तरह से मिलाकर उसमे बीज उपचारित करना चाहिये ।
चना की खेती मे बीज दर
बारानी क्षेत्र मे बीज दर 80 kg/hctr ओर सिचिंत क्षेत्र मे 60kg/hctr पर्याप्त होती है । पंक्ति से पंक्ति दुरी 45 से 50 cm पर करनी चहिये ।
रोग व उनका निवारण
इस फसल मे अनेक प्रकार के रोग है लेकिन झूलसा रोग के निवारण के लिये मैंकोजेब (फफुंदनाशी) की 1 kg मात्रा को 500 लिटर पानी मे घोलकर छिड्काव करना चाहिये ।पाले के प्रभाव से बचने के लिये गंधक के तेजाब यानि 1 लिटर गंधक तेजाब को 1000लिटर पानी के घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिये ।
चना के खेत की तैयारी
खेत की तैयारी के समय सबसे पहले प्लाउ ओर हल से या डिस्क हैरो से मिट्टी अच्छी तरह से पलट ले एंव अंत मे पाटा लगाकर भुमी समतल कर ले । दीमक या कटवर्म से बचने केअन्तिम जुताई के वक्त हैप्टाक्लोर ( 4% )या एंडोसल्फॉन (1.5 %) की चुर्ण की 25 kg मात्रा को प्र्ति हैक्ट्र. के दर से मिट्टी मे मिला ले ।