जैविक खेती योजना राजस्थान | Organic farming 2022
जैविक खेती क्या है …..
इसमें 50 हेक्टेयर अथवा 20 हैक्टेयर क्षेत्र का एक क्लस्टर में जैविक खेती का कार्यक्रम लिया जाता है। भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि ओर वातावरण भी शुद्ध बना रहता है ,इसके द्वारा पर्यावरण संरक्षित कृषि को बढावा देकर पैदावार में वृदि हेतु रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम की जा सकती है।जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है। भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं। भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है। सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है।रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होगा। कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है।
जैविक खेती योजना का उद्देश्य
- सभी जिलों में क्लस्टर क्रियान्वित किये जा रहे है।
- परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के अन्तर्गत जैविक खेती को बढावा देने हेतु यह क्लस्टर आधारित कार्यक्रम है।
- इस योजना के अन्तर्गत क्लस्टर एप्रोच एवं पी.जी.एस. सर्टिफिकेशन के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाता है।
- इसमें 50 हेक्टेयर अथवा 20 हैक्टेयर क्षेत्र का एक क्लस्टर में जैविक खेती का कार्यक्रम लिया जाता है।
- इसके द्वारा पर्यावरण संरक्षित कृषि को बढावा देकर पैदावार में वृदि हेतु रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम की जा सकती है।
जैविक खेती योजना पात्रता :
- कृषक के स्वयं के नाम से भूमि।
- कम से कम 0.4 हैक्टेयर भूमि आवश्यक।
- 0.4 हैक्टेयर से 2.0 हैक्टेयर तक अनुदान सहायता ।
- चयनित कृषक को तीन वर्ष तक विभिन्न गतिविधियों हेतु सहायता का प्रावधान।
जैविक खेती योजना आवश्यक दस्तावेज
- आधार कार्ड
- जन आधार कार्ड
- जमाबंधी
- बैंक पास बूक
- पासपोर्ट साईज फोटो
गतिविधि | किसानो को देय सहायता |
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भूमि का जैविक परिवर्तन | रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक |
परंपरागत जैविक आदान उत्पादन ईकाई की स्थापना | 1000/- रूपये प्रति इकाई की स्थापना हेतु प्रति कृषक |
फसल पद्धति एवं जैविक बीज हेतु सहायता | रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक |
जैव उर्वरक / जैव कीटनाशी / वेस्ट डिकम्पोज़र पर सहायता | रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक योग 1200/- प्रति कृषक |
वर्मीकम्पोस्ट ईकाई का निर्माण | चयनित कृषक द्वारा वर्मीकम्पोस्ट ईकाई का निर्माण करने पर (आकार 7 फीट लम्बाई , 3 फीट चौडाई व 1.5' ऊंचाई ) रूपये 5000/- प्रति ईकाई |
ढेंचा/ सनई प्रयोग हेतु सहायता | रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक (प्रथम वर्ष) |
फॉस्फेट युक्त जैविक खाद का प्रयोग | फॉस्फेट रिच जैविक खाद का प्रयोग करने हेतु रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक |
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत द्वितीय व तृतीय वर्ष में कम्पोनेन्ट/गतिविधिवार कृषकों को देय सहायता।
- भूमि का जैविक परिवर्तन रूपये द्वितीय वर्ष मे 1500/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक तृतीय वर्ष में रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक
- फसल पद्धति एवं जैविक बीज हेतु सहायता द्वितीय वर्ष मे रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक तृतीय वर्ष में रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर प्रति कृषक
- ढेंचा/ सनई प्रयोग हेतु सहायता द्वितीय वर्ष रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर तृतीय वर्ष में रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर
- जैव उर्वरक / जैव कीटनाशी / वेस्ट डिकम्पोज़र पर सहायता द्वितीय वर्ष मे रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर तृतीय वर्ष में रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर
- फॉस्फेट रिच जैविक खाद (PROM) द्वितीय वर्ष मे रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर तृतीय वर्ष में रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर
- वानस्पतिक काढ़ा इकाई की स्थापना द्वितीय वर्ष मे रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर प्रति इकाई
- वर्मी कम्पोस्टिंग की सामग्री तथा गाय / भैंस का ताजा गोबर द्वितीय वर्ष मे रूपये 3000/- प्रति कृषक प्रति इकाई तृतीय वर्ष में रूपये 3000/- प्रति कृषक प्रति इकाई योग रूपये 10000/- प्रति कृषक रूपये 9000/- प्रति कृषक
जैविक खेती आवेदन प्रक्रिया –
सरकार द्वारा चलाई जा रही जैविक खेती योजना के लिये आवेदन करने के लिये किसान जैविक खेती के समूह में शामिल होने के लिए अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक से संपर्क करें।
इस योजना के अन्तर्गत क्लस्टर एप्रोच एवं पी.जी.एस. सर्टिफिकेशन के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाता है। फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि इसके लिये शुद्ध वातावरण रहे एवं पौषि्टक आहार मिलता रहे, इसके लिये हमें जैविक खेती की कृषि पद्धतियाँ को अपनाना होगा । इस लिये किसानो को जैविक खेती को अपनाना चाहिये ताकि भविष्य मे खेती के लिये भुमी बनी रहे ओर रासायनिक खाद को कम से कम उपयोग मे लाया जा सके ।
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